सूर्यनमस्कार ऊर्जा का साधन (suryanamaskar asan)

Suryanamaskar asan :- दिन की शुरुआत का सबसे बेहतरीन योग अभ्यास”

सूर्यनमस्कार के विभिन्न पहलुओं पर इस ब्लॉग में गहराई से विचार करेंगे। हम वैदिक काल में सूर्य नमस्कार को एक महत्वपूर्ण दैनिक अनुष्ठान के रूप में देखेंगे। बाद में, हम suryanamaskar asan  को एक व्यापक शारीरिक अभ्यास के रूप में देखेंगे, इसके वैज्ञानिक पक्ष से।
यहां हम सूर्यनमस्कार के विभिन्न आसनों के माध्यम से शरीर के विभिन्न चक्रों को जाग्रत करने के बारे में चर्चा करेंगे।सूर्यनमस्कार के विभिन्न पहलुओं पर इस ब्लॉग में गहराई से विचार करेंगे। हम वैदिक काल में सूर्य नमस्कार को एक महत्वपूर्ण दैनिक अनुष्ठान के रूप में देखेंगे। बाद में, हम सूर्य नमस्कार को एक व्यापक शारीरिक अभ्यास के रूप में देखेंगे, इसके वैज्ञानिक पक्ष से।
यहां हम सूर्यनमस्कार के विभिन्न आसनों के माध्यम से शरीर के विभिन्न चक्रों को जाग्रत करने के बारे में चर्चा करेंगे।

सूर्य नमस्कार योग (Suryanamaskar yog)

सूर्यनमस्कार एक योगासन है जिसमें सूर्य के 12 रसायनों की पूजा की जाती है। इस अभ्यास से ऊर्जा मिलती है, जो शरीर और मन को स्वस्थ और मजबूत बनाती है। सूर्य, जो मैसाचुसेट्स को प्रकाशित करता है और जीवन का स्रोत है, को जगत की आत्मा माना जाता है। इस योगासन को सूर्य की रोशनी में करने से शरीर में विटामिन डी की कमी पूरी होती है। इस शरीर मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। सूर्यनमस्कार केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है; यह शरीर की ऊर्जा को बढ़ाता है और मानसिक और आत्मिक विकास के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। नियमित अभ्यास से हमारी शारीरिक, मानसिक और आत्मिक ऊर्जा बढ़ती है, जो हमें जीवन का सामना करने के लिए तैयार करता है। सूर्यनमस्कार करने से कई स्वास्थ्य समस्याएं गायब हो सकती हैं।

सूर्यनमस्कार की वैज्ञानिक विवेचना

दुनिया भर में कई वैज्ञानिक अध्ययनों ने सूर्य नमस्कार को एक बहुत प्रभावशाली आसन बताया है। कैलिफोर्निया में हाल ही में की गई एक शोध के अनुसार, सूर्य नमस्कार सबसे प्रभावी उपाय है। क्रिया के बाद व्यक्ति का हृदय बहुत तेज धड़कता है, इससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलता है और पूरा शरीर ऊर्जा से भर जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। विभिन्न अध्ययनों ने भी देखा है कि नियमित सूर्य नमस्कार करने से वजन नियंत्रित होता है, पाचन क्रिया मज़बूत होती है, मांसपेशियों में लचिलापन, पीठ दर्द, त्वचा विकार और तंत्रिका तंत्र को शांति मिलती है। साथ ही पूरे शरीर में रक्त संचार को भी बेहतर बनाता है।

वैदिक काल में सूर्य की उपासना/ vedic kal me suryanamaskar asan ka itihaas

सूर्यनमस्कार का अर्थ है सूर्य को नमस्कार करना। यह प्रक्रिया प्राचीन वैदिक ऋषियों ने विकसित की थी। सूर्य को आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक मानते हैं। वैदिक काल में सूर्य को पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण था और इसे जीवन का स्रोत मानते थे। मानव शरीर में सूर्य को पिंगला नाड़ी से जोड़ा जाता है, जो ऊर्जा और शक्ति को शरीर में भेजता है। इस नाड़ी को सक्रिय करने के लिए सूर्यनमस्कार करते हैं।
वैदिक काल के कई मंदिरों में सूर्यनमस्कार की प्रक्रिया दिखाई देती है। कोणार्क का सूर्य मंदिर और मध्य प्रदेश का ग्वालियर का सूर्य मंदिर दो बड़े मंदिर हैं। इन मंदिरों में मूर्तियों और शिलालेखों ने सूर्य की महिमा और सूर्यनमस्कार की विधि को दिखाया है।

suryanamaskar asan

सूर्य नमस्कार के 12 आसन और मंत्र
12 suryanamaskar asan :-

1. *प्रणामासन (Pranamasana)*:
सीधे खड़े हो जाएं, पैरों को मिलाकर। दोनों हाथों को जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में वक्ष स्थल के सामने रखें।
      मंत्र: ॐ मित्राय नमः ।

2. *हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana)*:
गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। शरीर को पीछे की ओर हल्का झुकाएं, हाथ और सिर को पीछे की ओर ले जाएं।
     मंत्र: ॐ रवये नमः।

3. *पाद हस्तासन (Padahastasana)*:
सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। अब हाथों से पैरों को छूने की कोशिश करें, सिर को घुटनों के पास लाएं।
      मंत्र: ॐ सूर्याय नमः।

4. *अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana)*:
दाएं पैर को पीछे की ओर ले जाते हुए श्वास ले और, बाएं पैर
को आगे रखें। दोनों हाथों को जमीन पर रखें, सिर को ऊपर उठाएं और छाती को आगे की ओर खोलें।
      मंत्र: ॐ भानवे नमः।

5. पर्वतासन( parvatasan) :
बाएं पैर को भी पीछे की ओर ले जाएं, और श्वास छोड़े। शरीर को सीधा और संतुलित रखें। दोनों हाथों को जमीन पर रखें, सीर को भुजाओं के बीच ले आएं और नितंब ऊपर की ओर उठाएं।
      मंत्र : ॐ खगाय नमः।

6. *अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskar)*:
हाथ, पंजे और घुटनों को जमीन पर रखें। वक्ष स्थल और ठुड्डी को भी जमीन पर स्पर्श करें। कूल्हों को ऊपर रखें।
      मंत्र : ॐ पुष्णे नमः।

7. *भुजंगासन (Bhujangasana)*:
उल्टे लेट जाएं, हाथों और पैरों को जमीन पर रखते हुए नितंबों को ज़मीन पर लाए। अब श्वास भरते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर उठाएं, और सिर को पीछे की ओर ले जाएं।
     मंत्र : ॐ हिरण्यगर्भाय नमः

8. *पर्वतासन (Parvatasana)*:
श्वास छोड़े,शरीर को सीधा और संतुलित रखते हुए नितंब ऊपर की ओर उठाएं ।दोनों हाथों को जमीन पर रखें, सीर को भुजाओं के बीच ले आएं और ।
      मंत्र: ॐ मरीच्ये नमः।

9. *अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana)*:
श्वास ले और, बाएं पैर के घुटने को मोड़ते हुए।दाएं पैर को पीछे ही रखें, दोनों हाथों को जमीन पर , सिर को ऊपर उठाएं और छाती को आगे की ओर खोलें।
       मंत्र: ॐ आदित्याय नमः।

10. *पादहस्तासन (Padahastasana)*:
दाएं पंजे को आगे बाये पंजे की बगल में ले आए। दोनो पैरो को सीधा करे, श्वास छोड़े हाथों से पैरों को छूने की कोशिश करें। सिर से घुटनों का स्पर्श करें।
       मंत्र: ॐ सवित्रे नमः।

11. *हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana)*:
गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। शरीर को पीछे की
ओर हल्का झुकाएं, हाथ और सिर को पीछे की ओर झुकाएं।
      मंत्र : ॐ arkarya नमः।

12. *प्रणामासन (Pranamasana)*:
सीधे खड़े हो जाएं, पैरों को मिलाकर। दोनों हाथों को जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में वक्ष स्थल के सामने रखें।
      मंत्र : ॐ भास्कराय नमः।

suryanamaskar asan

सूर्यनमस्कार के अभ्यास करने का समय

सूर्यनमस्कार का सबसे उपयुक्त समय सूर्य उदय का होता है, क्योंकि सुबह का समय अत्यधिक शांत और शुद्ध होता है। इस समय वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो हमारे शरीर और मन के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
सूर्य नमस्कार को शाम के समय भी किया जा सकता है, लेकिन इसे खाली पेट करना चाहिए।

सूर्य नमस्कार के फ़ायदे

सूर्य नमस्कार के लाभ अनेक हैं। इस प्राचीन योगासन का नियमित अभ्यास करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में सुधार होता है।

◾ प्रणामासन का अभ्यास करने से पुरी बॉडी रिलैक्स होती हैं।
यह आसन मन को शांत रखता हैं।

◾ हस्त उत्तानासन शरीर को ललीचा व मज़बूत बनाता है।
व फेफड़ों की कार्य क्षमता को बेहतर बनाता है।

◾पादहस्तासन पेट की चर्बी को कम करता है साथ ही इससे पाचन क्रिया में भी सुधार आता है। इस आसन को करने से रक्त संचालन में वृद्धि होती है।

◾अश्व संचालनासन पीठ व पैरो की मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न करता है जिससे शरीर में लचीलापन बढ़ता है।

◾पर्वतासन निचले शरीर की ताकत बढ़ाना, विशेष रूप
से पैरों, टखनों, पंजे, घुटनों और कूल्हों में।

◾ भुजंगासन पीठ के दर्द में बहुत लाभकारी रहता है, साथ ही अस्थमा के लक्षणों को भी कम करता है।

◾ सूर्य नमस्कार करने से और भी अनेकों लाभ हैं जैसे – हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे महिलाओं में होने वाले मासिक धर्म की अनियमितताओं को दूर करने में भी बहुत लाभकारी हैं।

suryanamaskar ke fayde

सूर्यनमस्कार द्वारा चक्रों का जागरण

सूर्य नमस्कार के प्रत्येक आसन के द्वारा चक्र जागरण को निम्नलिखित दर्शाया गया है:
आसन का नाम संबंधित चक्र
1.प्रणामासन (प्रणाम मुद्रा) –             अनाहत चक्र
2.हस्त उत्तानासन –                          विशुद्ध चक्र
3. पाद हस्तासन –                            स्वाधिष्ठान चक्र
4. अश्व संचालासन –                         आज्ञा चक्र
5. पर्वतासन –                                   विशुद्ध चक्र
6. अष्टांग नमस्कार –                         मणिपुर चक्र
7. भुजंगासन –                                  स्वाधिष्ठान चक्र
8. पर्वतासन –                                   विशुद्ध चक्र
9. अश्व संचालासन –                         आज्ञा चक्र
10. पाद हस्तासन –                          स्वाधिष्ठान चक्र
11. हस्त उत्तानासन –                       स्वाधिष्ठान चक्र
12. प्रणामासन (प्रणाम मुद्रा –            अनाहत चक्र

सावधानियां

सूर्य नमस्कार शुरू करने से पहले अपने शरीर को अच्छे से वार्म-अप करें ताकि आपकी मांसपेशियों में उष्मा उत्पन्न हो सके।

◾सूर्य नमस्कार का अभ्यास खाली पेट सुबह सूर्य के सामने
करना चाहिए। सुबह का समय आपकी ऊर्जा को बढ़ाने और दिन की शुरुआत करने के लिए सबसे अच्छा है।

◾शुरुआत में सूर्य नमस्कार की आवृत्ति न बढ़ाएं; पहले
में 2-3 राउंड से शुरू करें और धीरे-धीरे बढ़ाएं।

◾अभ्यास के लिए खुली हवा और प्राकृतिक वातावरण का चयन करें।

◾अगर आपको हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, स्लिप डिस्क, या कोई अन्य गंभीर बीमारी है, तो सूर्य नमस्कार शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।

◾अपने अभ्यास को आरामदायक कपड़ों में करें

◾मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान सूर्य नमस्कार nhi krna चाहिए।

◾ सूर्य नमस्कार में श्वास लेने और छोड़ने पर बहुत ध्यान देना चाहिए जिससे की शरीर को उचित लाभ हों सके।

◾अभ्यास के बाद कुछ मिनट के लिए शवासन में आराम करें ताकि आपकी मांसपेशियां और मन दोनों शांत हो सकें।

Leave a Comment