योग क्या है ? (does-yogaasan-cure-dieses)
योग’ शब्द को संस्कृत के ‘युज’ से लिया गया है, जिसका तात्पर्य है ‘संयोजन’ या एकीकृत करना। योग हमारे शरीर और मन (आत्मा) के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। यह आज पूरी दुनिया में शांति और संतुलन का प्रतीक बन चुका है, जिसकी उत्पत्ति भारत में हज़ारों वर्ष पहले हुई थी। यह केवल शरीर और मन का ही नहीं, बल्कि आत्मा से परमात्मा का भी मिलन है। जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन की सर्वोच्च क्षमताओं तक पहुंचता है। आईए इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानते है- योग की उत्पत्ति किस तरह हुई, योग किस तरह लाभ पहुंचाता है, और
क्या योग से हर बीमारी दूर की जा सकती है ?
योग की उत्पत्ति :-
सद्गुरु बताते हैं कि योग की उत्पत्ति कोई एक घटना नहीं थी, बल्कि यह हजारों सालों के आध्यात्मिक प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव को “आदियोगी” कहा जाता है वे योग के पहले गुरु हैं। उन्होंने सर्वप्रथम योग का ज्ञान अपने सात शिष्यों को, जिन्हें सप्तऋषि कहा जाता है, को दिया।
योग की उत्पत्ति का वर्णन वेदों उपनिषदों और गीता जैसे अनेक ग्रंथों में मिलता हैं। यह एक बहुत प्राचीन विद्या है। योग को केवल व्यायाम नहीं माना जाना चाहिए ,बल्कि इसके निरंतर अभ्यास से मानव शरीर में मौजूद सभी चक्रों का जागरण संभव हैं जो आत्मा की खोज करने में सहायक है।
योग करने से क्या बीमारी ठीक हो जाती हैं?
क्या योग करने से बीमारी ठीक होती है? यह अपने आप में एक महत्तवपूर्ण सवाल है और इसका जवाब आपको यहा जरूर मिलेगा। आईए जानते हैं कोन से योग करने से बीमारी ठीक हो जाती हैं।
1.सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (Cervical spondylitis):
लगभग 50 वर्ष से अधिक आयु के 85% से अधिक लोग सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस से परेशान है। आज के समय में कम उम्र के लोगो में भी ये यह बहुत ही आम समस्या बन गई हैं इसका मुख्य कारण है ज्यादा देर तक बैठे-बैठे काम करना, शरीर को आराम न देना, व अधिक तनाव लेना आदि। यदि आप योग करते है तो आप सर्वाइकल जैसी तकलीफे खत्म हो सकती है। इसके लिए आप गर्दन, हाथों व कंधो से जुड़े योगासन करे- ग्रीवा संचालन (Neck Rotation), स्कंध चक्र (Shoulder Rotation), धनुरासन (Bow Pose),, भुजंगासन (Cobra Pose) और गोमुखासन इन आसनों से आपको सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (Cervical spondylitis) में बहुत आराम मिलेगा।
2.हृदय रोग (Heart Diseases):
एक समय था जब हार्ट अटैक आने की संभावना आम तौर पर मोटे लोगों को अधिक होती थी किंतु अब ऐसा नहीं रहा यह सभी के लिए एक बहुत ही कॉमन समस्या हो गई हैं। बच्चे, बूढ़े और जवान किसी भी उम्र में हार्ट अटैक हो सकता है। ऐसे में आपकी हृदय संबंधित परेशानी को कम करने में योग बहुत मुख्य भूमिका निभाता है। योग के अभ्यास से उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित किया जा सकता है। सूर्य नमस्कार एक ऐसा साधन है जिससे पूरे शरीर की कसरत की जा सकती है यदि इसे उचित ढंग से श्वास – प्रश्वास के साथ किया जाए तो यह पूरे शरीर के अंगो को एक साथ लाभ पहुंचाता है। हृदय रोगों से मुक्त के लिए यह एक उत्तम योगाभ्यास माना जा सकता हैं। साथ ही
वीरभद्रासन और मत्स्यासन जेसे योगासन करें जिससे आपका हृदय रोगों से मुक्त रहें।
3.फेफड़ों के रोग (Lung Diseases):
शरीर में फेफड़ों का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य होता है ऑक्सीजन जो कि प्राण वायु है उसको लेना और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर करने का काम करते है। Lungs infection, अत्यधिक कफ और अस्थमा जैसी बीमारियां भी योग और प्रणायाम से ठीक हो सकती है। अश्व संचालनासान, भुजंगासन और मार्जरी आसन जेसे आसन से फेफड़ों के रोग ठीक हो सकते है। अधिक लाभ लेने के लिए आप अपने जीवन में प्राणायाम (कपालभाती, भस्त्रिका प्राणायाम भ्रामरी प्राणायाम और अनुलोम विलोम प्राणायाम) शामिल करे।
4.पेट की समस्याएं (Stomach Issues):
पेट से जुड़ी समस्या बहुत ही आम है समस्याओं में शामिल है। भोजन का ठीक से नही पचना, भूख न लगना, आदि कब्ज़ के ही लक्षणों में आते है। कहते है की पेट से ही अधिकतम समस्याएं जुड़ी होती है यदि पाचन तंत्र ठीक से काम करे तो बहुत सी बीमारियां शरीर में उत्पन्न नहीं होती हैं। इसलिए आपका पाचन तंत्र मज़बूत रहे ये आवश्यक है। इसको मज़बूत बनाने के लिए कुछ योगाभ्यास अपने जीवन में शामिल करे। वज्रासन, ताड़ासन नौकासन ,उत्तानपादासन , पवनमुक्तासन, और ।
वज्रासन खाना खाने के बाद भी किया जा सकता है किंतु बाकी सभी आसन खाली पेट ही करना चाहिए।
5.स्त्री रोग (Gynecological Issues):
अकसर महिलाएं अनेक शारीरिक और मानसिक रोग से पीड़ित रहती है जिससे हार्मोनल इंबैलेंस होता है जो स्ट्रेस, तनाव और अशांति को बढ़ावा देता है। इसी तरह (PCOS),(PCOD) मासिक धर्म की अनियमितताओं और उसमे होने वाला असामान्य दर्द, चक्कर, सर दर्द जैसी बहुत सी परेशानी होती है। अब आप सोच रहे होंगे की क्या योग से ये सारी समस्याए ठीक हो सकती है?तो इसका जवाब है – हां, योगाभ्यस से आपकी समस्याए ठीक हो जाती है। तितली आसन (Butterfly Pose), धनुरासन (Bow Pose), वृक्षासन (Tree Pose), बालासन, और भुजंगासन करके आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं।
योग से लाभ :-
योग से शारीरिक लाभ के साथ ही मानसिक लाभ, ओर आध्यात्मिक लाभ भी होते है जिससे हमारा संपूर्ण विकास संभव है।
शारीरिक लाभ:
क्या आप जानते है की योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि जीवन जीने की एक कला है। अनेक वैज्ञानिक शोधों में भी पाया गया है की शरीर के लिए योग अत्यंत लाभकारी है। योग का अभ्यास प्रतिदिन करने वाला व्यक्ति हमेशा तंदुरुस्त रहता हैं और
बीमारियां तो सदैव उससे दूर ही रहती है। शारीरिक लाभ के साथ मानसिक तनाव कम होता है। योग से आपकी मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द से नसों को आराम मिलता है। पूरे शरीर नस नाडिया व आंतरिक अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं।
मानसिक लाभ :-
आज के दौर में कई लोग शारीरिक बीमारियो से ज्यादा मानसिक तौर पर बीमार रहते है। हर कोई तनाव, और चिन्ता से घिरा है ऐसे में अपने दिमाग को स्वस्थ रखना अपने आप में एक चुनौती है।
हमारा मस्तिष्क ही है जो पूरे शरीर की गतिविधियों को मेंटेंन करता है इसलिए इसे स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। इस समस्या को दूर करने के लिए योग और प्राणायाम को अपने जीवन में जरूर अपनाएं। मानसिक लाभ के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम , कपालभाती, भस्त्रिका प्राणायाम और भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है, पाचन तंत्र मज़बूत, श्वाशन तंत्र बेहतर होता है और मस्तिष्क शांत रहता है। वहीं अनुलोम विलोम से शरीर की समस्त नाड़ियों की शुद्धि होती हैं।
आध्यात्मिक लाभ :-
योग एक दर्पण है जिससे हम अपने भीतर देख सकते हैं, अर्थात् योग के निरंतर अभ्यास से हम आध्यात्म की ओर अग्रसर होते हैं जो हमें अपने भीतर देखने और आत्म के चिंतन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। आध्यात्म्य एक आंतरिक मार्ग है जिससे व्यक्ति अपने अस्तित्व की खोज में सक्षम बनाता है। यदि आप अधिक से अधिक आध्यात्मिक लाभ पाना चाहते है तो सबसे महत्वपूर्ण जो आप कर सकते है वह है “ध्यान“और चिंतन। ध्यान के बहुत लाभ बताए गए हैं यह न केवल मानसिक रूप से बल्कि आध्यात्मिक रूप से व्यक्ति को लाभ पहुंचाते हैं।
“योग से अद्भुत और तुरंत असर पाए”
कई लोगो को शिकायत रहती है की उन्हें योग के उचित लाभ नहीं मिल पाते हैं परंतु ऐसा नहीं है यदि योग उचित ढंग से श्वास प्रश्वास के साथ किया जाए तो कुछ ही दिनों में योग के असर दिखने लगते है। इससे अद्भुत लाभ मिलता है और पूरा शरीर ऊर्जावान हो जाता हैं और धीरे-धीरे आपका स्टेमिना भी बढ़ जाता है।
योग से अपनी पुरानी से पुरानी बीमारी को ठीक करे
अनेक शोधो में पाया गया है कि योग करने से गठिया, diebetes, सिरदर्द, अस्थमा, हाई बीपी, लो बीपी, संतुलन संबंधी समस्याओं, गर्दन और घुटने के दर्द व पीठ के निचले हिस्से मे दर्द, हृदय और श्वसन तन्त्र संबंधी विकार, महिलाओं की अनेक समस्या (PCOD), और अन्य पुरानी से पुरानी बीमारी को ठीक हो सकती है।